रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज सोमवार को कुरुक्षेत्र में चल रहे इंटरनेशनल गीता महोत्सव में हरियाणा पवेलियन का उद्घाटन करेंगे। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की ओर से द्रौपदी कूप इलाके में बनाया गया यह पवेलियन, परफॉर्मेंस, एग्जीबिट और कलात्मक शोकेस के जरिए हरियाणा की समृद्ध लोक परंपराओं और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को पेश करेगा।
पवेलियन के उद्घाटन के साथ ही रक्षा मंत्री कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के श्रीमद्भगवद्गीता सदन में तीन दिन के इंटरनेशनल गीता सेमिनार का भी उद्घाटन करेंगे। इस सेमिनार में भारत और विदेश के जाने-माने विद्वान भगवद् गीता के ग्लोबल संदेश, इसकी दार्शनिक गहराई और आज के समाज में इसकी बढ़ती अहमियत पर चर्चा करने के लिए एक साथ आएंगे।
अधिकारियों ने कहा कि हरियाणा पवेलियन को विजिटर्स को राज्य की सांस्कृतिक पहचान की एक शानदार झलक दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है। युवा कलाकार पारंपरिक लोक कला का प्रदर्शन करेंगे, जबकि खास प्रदर्शनियों में हरियाणा की ऐतिहासिक विरासत को दिखाया जाएगा।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस साल की कोशिशों में इंटरैक्टिव और विजुअल प्रेजेंटेशन के जरिए इलाके की पुरानी सांस्कृतिक जड़ों को दिखाने की एक अनोखी कोशिश भी शामिल है।
बता दें कि 15 नवंबर को शुरू हुआ इंटरनेशनल गीता महोत्सव 21 दिन का जश्न है जिसमें आध्यात्मिकता, संस्कृति और ज्ञान का मेल है। विदेश मंत्रालय के सपोर्ट से, गीता जयंती के इवेंट 50 देशों में एक साथ हो रहे हैं, जो गीता के यूनिवर्सल मैसेज को दिखाते हैं। इस साल मध्य प्रदेश को सहभागी राज्य के रूप में शामिल किया गया है। यह राज्य कुरुक्षेत्र में होने वाले इस कार्यक्रम के लिए अपने सांस्कृतिक दल, कलाकृतियां और धार्मिक/आध्यात्मिक कार्यक्रम लेकर आया है।
फेस्टिवल को यादगार बनाने के लिए, शहर को सांस्कृतिक तरीके रोशन किया गया है। पूरे भारत से हजारों भक्तों, टूरिस्टों, रिसर्चरों और कलाकारों के अलग-अलग प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए इकट्ठा होने की उम्मीद है, जिसमें भजन, प्रदर्शनियां और प्रवचन शामिल हैं।
इस बीच, गीता जयंती के आस-पास आध्यात्मिक उत्साह लखनऊ में भी दिखा, जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता के 700 श्लोक सनातन धर्म के हर मानने वाले के लिए “जीवन मंत्र” का काम करते हैं।
उन्होंने कहा, “गीता सिर्फ एक धर्मग्रंथ नहीं है, यह जीवन जीने का एक तरीका है। इसके दिव्य शब्द पवित्रता, स्पष्टता और समर्पण की प्रेरणा देते हैं।” राजनाथ सिंह ने आगे जोर देते हुए कहा कि भारतीय परंपरा में धर्म कभी भी सिर्फ रस्मों तक सीमित नहीं रहा है। उन्होंने कहा, “पूजा सिर्फ एक पहलू है। असल में, धर्म जीने की कला है।”